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Mere nishan

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मैं तो नहीं हूँ इंसानों में

बिकता हूँ मैं तो इन दुकानों में

मैं तो नहीं हूँ इंसानों में

बिकता हूँ मैं तो इन दुकानों में

दुनिया बनाई मैंने हाथों से

मिट्टी से नहीं, जज़्बातों से

फिर रहा हूँ ढूँढता

मेरे निशाँ है कहाँ?

मेरे निशाँ है कहाँ?

मेरे निशाँ...

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

तेरा ही साया बनके तेरे साथ चला मैं

जब धूप आई तेरे सर पे तो छाँव बना मैं

तेरा ही साया बनके तेरे साथ चला मैं

जब धूप आई तेरे सर पे तो छाँव बना मैं

राहों में तेरी रहा मैं हमसफ़र की तरह

उलझा है फिर भी तू उजालों में

ढूँढे सवालों को जवाबों में

खोया हुआ है तू कहाँ? (तू कहाँ)

मेरे निशाँ है कहाँ?

मेरे निशाँ है कहाँ?

मेरे निशाँ...

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

मुझसे बने हैं ये पंछी, ये बहता पानी

लेके ज़मीं से आसमाँ तक मेरी ही कहानी

मुझसे बने हैं ये पंछी, ये बहता पानी

लेके ज़मीं से आसमाँ तक मेरी ही कहानी

तू भी है मुझसे बना, बाँटे मुझे क्यूँ यहाँ?

मेरी बनाई तक़दीरें हैं (तक़दीरें हैं)

साँसों भरी ये तस्वीरें है

फिर भी हैं क्यूँ बेज़ुबाँ? (बेज़ुबाँ)

मेरे निशाँ है कहाँ? (मेरे निशाँ है कहाँ?)

मेरे निशाँ है कहाँ? (मेरे निशाँ...)

मेरे निशाँ...

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

हो-हो-हो, मेरे निशाँ (मेरे निशाँ)

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