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Preeti Pillaihuatong
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जुनेच सारे हे अनोळखी तरीही

होई कसे सांग ना?

जुन्याच वाटांशी फिरून येतांना

का हरवलो सांग ना?

मनात जागते फिरून आज प्रीत ही

तुझ्यात धुंद आज ही हवा

नभात झेप घेई जीव होई पाखरू

अबोल अशा नव्या खुणा

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

एकट्या या जीवाला ओढ वाटे नवी

मखमली या सुखाची आस का लागली?

एकट्या या जीवाला ओढ वाटे नवी

मखमली या सुखाची आस का लागली?

कसे हरवले श्वास हे खुळे, सख्या तूझ्यासवे

कसे हरवले श्वास हे खुळे, सख्या सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

अनोळखी भासते हे, कुठे हरवल्या या दिशा

तुझ्याविना जग सुने हे, न अर्थ या जीवना

साथ दे ना मी हरवताना क्षण आहे हा थांबला

साथ दे ना मी हरवताना स्पर्शातुनी तू सांग ना

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

आभास हे खरे का सांग ना?

हो, मन बावरे, मन बावरे

मन बावरे (मन बावरे) मन बावरे

मन बावरे (मन बावरे) मन बावरे (मन बावरे)

मन बावरे (मन बावरे) मन बावरे (मन बावरे)

मन बावरे, मन बावरे (मन बावरे)

मन बावरे, मन बावरे (मन बावरे...)

मन बावरे, मन बावरे (मन बावरे...)

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