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Krishn Hain Vistaar (RadhaKrishn)

Surya raj kamal/Bharat Kamal/Gul Saxenahuatong
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कृष्ण है विस्तार यदि तो सार है राधा

कृष्ण की हर बात का आधार है राधा

राधा बिना कृष्ण नहीं, कृष्ण बिना नहीं राधा

जिस कण में राधा बसी, उस कण में बसे हैं कृष्ण सदा से

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

कृष्ण है वंशी तो राधा तान मतवारी

कृष्ण है सृष्टा तो राधा सृष्टि है सारी

कृष्ण बिना राधा का होना कहाँ संभव है

कृष्ण यदि परमानंद तो राधा उत्सव है सदा से

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

शब्द है कृष्णा तो उसका अर्थ है राधा

कृष्ण की शक्ति है और समार्थ्य है राधा

कण-कण में है राधे, कण-कण में कृष्णा है

यही परम तृप्ति है, बाकी सब तृष्णा है जगत में

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

कृष्ण के हर रोम में है राधिका प्यारी

राधा के तन-मन में बसते कृष्ण बनवारी

राधा के अधरों पर कृष्ण का है नाम सदा

एक-दूजे में दोनों पाते हैं विश्राम सदा युगों से

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा, राधा, राधा, राधा, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण

राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण, राधा-कृष्ण

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