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दिल बता ना, दिल्लगी कर के भला है क्या मिला?

चार दिन का इश्क़ था, और उम्र-भर का ग़म मिला

आ ही जाता है ज़ुबाँ पर नाम उसका, क्या करूँ?

ख़त्म होता ही नहीं है दर्द का ये सिलसिला

ग़म-खुशी सब एक लगते

कैसे फ़र्क़ बताऊँ? (बताऊँ, बताऊँ)

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

कब तक याद करूँ मैं उसको? कब तक अश्क बहाऊँ?

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

ओ, यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

यादों के सैलाब से कैसे अपनी जान बचाऊँ?

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

ओ, यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

ज़िंदगी लेकर के आई जाने कैसे मोड़ पर

एक तिनके का सहारा भी नहीं आता नज़र

हो, ज़िंदगी लेकर के आई जाने कैसे मोड़ पर

एक तिनके का सहारा भी नहीं आता नज़र

इश्क़ में बर्बाद होना खुशनसीबी है, मगर

क्या मिला, इतना बता दे मेरे दिल को तोड़कर

चाहूँ भी तो

अपनी कोई ग़लती ढूँढ ना पाऊँ (पाऊँ, पाऊँ)

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

कब तक याद करूँ मैं उसको? कब तक अश्क बहाऊँ?

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

ओ, तेरी याद ज़हन से जाए ना, जाए ना

कुछ राह समझ में आए ना, आए ना

एक लम्हे में १०० बार मरूँ मैं, साँस पर ये चलती रहती

ये इश्क़ किया क्यूँ सोच रहा हूँ बस

ख़ुद को हर पल कोस रहा हूँ बस

रोज़-रोज़ की उलझन से मैं छुटकारा कैसे पाऊँ?

इश्क़ आँखों से बहे है

कैसे इसे छिपाऊँ?

यारों, मिल के दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

कब तक याद करूँ मैं उसको? कब तक अश्क बहाऊँ?

यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

ओ, यारों, रब से दुआ करो, मैं उसको भूल जाऊँ

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