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Abhi Mujh Mein Kahin (Seaward Sessions)

Amrit Ramnathhuatong
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हा धूप में जलते हुए तन को

छाया पेड़ की मिल गयी

रूठे बच्चे की हंसी जैसे

फुसलाने से फिर खिल गयी

कुछ ऐसा ही अब महसुस दिल को हो रहा है

बरसों के पुराने ज़ख्मों पे मरहम लगा सा है

कुछ एहसास है, इस लम्हे में है

ये लम्हा कहाँ था मेरा

अब है सामने इसे छु लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

खुशियाँ �**� लूं या रो लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

अभी मुझ में कहीं

बाकी थोड़ी सी है जिन्दगी

जगी धड़कन नई

जाना ज़िन्दा हूं मैं तो अभी

कुछ ऐसी लगन इस लम्हे में है

ये लम्हा कहाँ था मेरा

अब है सामने इसे छु लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

खुशियाँ �**� लूं या रो लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

अब है सामने इसे छु लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

खुशियाँ �**� लूं या रो लूं ज़रा

मर जाऊं या जी लूं ज़रा

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