जीने भी दे दुनिया हमें
इलज़ाम ना लगा
एक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
वरना कोई कैसे भला
चाहे किसी को बेपनाह
ऐ ज़िंदगी तू ही बता
क्यों इश्क़ है गुनाह
जीने भी दे दुनिया हमें
इलज़ाम ना लगा
एक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
ऐसा क्यूँ कर हुआ
जानू ना मैं जानू ना
हो दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
जिस राह पे है घर तेरा
अक्सर वहाँ से हाँ मैं हूँ गुज़रा
शायद यही दिल में रहा
तू मुझको मिल जाए क्या पता
क्या है ये सिलसिला
जानू ना मैं जानू ना
हो दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
खुद से ही करके गुप्तगू
कोई कैसे जीये
इश्क़ तो लज़्मी सा है
ज़िंदगी के लिए
दिल क्या करे दिल को अगर
अच्छा लगे कोई
झूठा सही दिल को मगर
सच्चा लगे कोई है है है हु