कही ना ये बातें खाए जैसे
कोई जाने क्यूँ ये हारें ऐसे
छिपे इन बादलों में कहीं मिले ना तू
बदले जो रास्ते ये सवालों में ही गुम
समझे ना क्यूँ ये तू?
हलकी सी है ये धुन
बहती रहे हवाएँ
तू ही जाने, अधूरी रातें भरी ये आँखों में क्यूँ
कहने लगे ये राहें, यूँ डोर बाँधे, "तू ऐसी बातों में क्यूँ?"
जाने ही दो
खोई सी ये यादें होश में कहाँ पे, ऐसे में इरादे
यूँ ही जब खोने लगे ये साँसें, अब होने लगे पल
आज ऐसे ही ख़ाबों में यूँ सताएँ
रूखे हैं सारे ये फिर भी नज़ारे
समझे ना क्यूँ ये तू?
हलकी सी है ये धुन
बहती रहे हवाएँ
तू ही जाने, अधूरी रातें भरी ये आँखों में क्यूँ
कहने लगे ये राहें, यूँ डोर बाँधे, "तू ऐसी बातों में क्यूँ?"
जाने ही दो
जाने ही दो
जाने ही दो
तू ही जाने, अधूरी रातें भरी ये आँखों में क्यूँ
जाने ही दो