मुझ को दे तू मिट जाने, अब ख़ुद से दिल मिल जाने
क्यूँ है ये इतना फ़ासला?
लम्हे ये फिर ना आने, इन को तू ना दे जाने
तू मुझ पे ख़ुद को दे लुटा
तुझे तुझ से तोड़ लूँ, कहीं ख़ुद से जोड़ लूँ
मेरे जिस्म-ओ-जाँ में आ, तेरी ख़ुशबू ओढ़ लूँ
जो भी साँसें मैं भरूँ उन्हें तेरे संग भरूँ
चाहे जो हो रास्ता उसे तेरे संग चलूँ
दिल इबादत कर रहा है, धड़कनें मेरी सुन
तुझ को मैं कर लूँ हासिल, लगी है यही धुन
ज़िंदगी की शाख़ से लूँ कुछ हसीं पल मैं चुन
तुझ को मैं कर लूँ हासिल, लगी है यही धुन