बे-रंग सी ये मेरी दुनिया ज़रा थी
जानाँ, ना तू है मेरे पास
मेरी कहानी के इस दिल में ना जगह थी
पर, जब से हुई मुलाक़ात
कुछ हो रहा है ये नशा सा इन हवाओं से
साँसों में मेरी एक नयी ज़िंदगानी है
कहने को फूलों की ये ख़ुशबू पुरानी है
क्यूँ छेड़ी फ़िर से एक नई ये कहानी है?
आसमानों में जो रंग घुले हैं
मुस्कुराते हुए सपनों के झूले हैं
सहमें हुए दो दिल अधूरे थे
पास आते हुए चाहतों में बुने हैं
जिया रे, जिया, जब से लागे, पिया, ये तोसे
मेरी तो सुनता कहाँ
जिया रे, जिया, जब से लागे, पिया, ये तोसे
मेरी तो सुनता कहाँ
ख़ुशियों से था मेरा गिला
तूने आ के दिया इनका पता
भूली हूँ मैं वो परछाइयाँ, हाँ
रोशनी का है अब साथ मिला, हाँ
रातों से घिरे जो भी अँधेरे थे
तेरे आने से सुबह में बोले हैं
बे-रंग हुए जो दो दिल अधूरे थे
पास आते हुए रंगों से घुले हैं
जिया रे, जिया, जब से लागे, पिया, ये तोसे
मेरी तो सुनता कहाँ
जिया रे, जिया, जब से लागे, पिया, ये तोसे
मेरी तो सुनता कहाँ