नाम ये मेरा
इक दफ़ा तो ले
हाज़िर हो जाऊँगा
मैं तेरी ख़िदमत में
तेरी हाँ या ना सब क़ुबूल
ज़िंदगी से मैं मांगूँ मननतें
मेरी साँसें बहें
तेरी ही क़ुर्बत में
तेरे संग मैं रहूँ ब-उसूल
तेरी ये नरम धूप से हैं चार चाँद लग गए दिन पे
तू वो महक अलाव की जो दूर से भी सेकती मेरा दिल ये
काफ़ी है बस तेरा होना पर चाहूँ मैं तेरा होना
कोई हो या हो ना तुम तो हो काफ़ी है बस तेरा होना
तू वो किताब है जिसे सारी उमर संभाल के
रखना मैंने (रखना मैंने) मिला हूँ जब से मैं तुझे
भूला वो ज़िंदगी जो थी बिन तेरे
तेरा ही ज़िक्र गूँजता मेरी ये धड़कनों की वादी में
तू वो महक अलाव की जो दूर से भी सेकती मेरा दिल ये
काफ़ी है बस तेरा होना पर चाहूँ मैं तेरा होना
कोई हो या हो ना तुम तो हो ना काफ़ी है बस तेरा होना पर चाहूँ मैं तेरा होना
कोई हो या हो ना तुम तो हो ना काफ़ी है बस तेरा होना
बस तेरा होना हाँ तेरी होना काफी बस तेरा होना हाँ तेरी होना काफी
बस तेरा होना हाँ तेरी होना काफी बस तेरा होना हाँ तेरी होना काफी हैं