menu-iconlogo
huatong
huatong
avatar

Purani Sadak - Reprise

Samidh Mukherjee/Urvi/KKhuatong
লিরিক্স
রেকর্ডিং
पिघलता ये सूरज, कहे ढ़लते-ढ़लते

दोबारा ना आएंगे पल लौटकर ये

नसीबो से मिलती है नज़दीकियाँ ये

तू जाते लम्हों को गले से लगा ले

के थमता नहीं वक़्त का कारवां

ऐ मालिक बस इतना बता दे, "क्यूँ ऐसी तेरी ज़मीं?"

जिसे हमसफ़र हम बनाए, वहीं छूट जाए कहीं

दिल की पुरानी सड़क पर

बदला तो कुछ भी नहीं

मुझे थामकर चल रहा है

तू ही बस तू, ही बस हर कही

Samidh Mukherjee/Urvi/KK থেকে আরও

সব দেখুনlogo

আপনার পছন্দ হতে পারে