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Arvinder Singhhuatong
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लेके साकी तेरा नाम पीता हूँ

अपने मस्ती में सरेशाम पीता हूँ

छुपके पीना है बुजदिले यारों

इसी लिए मैं तो खुले आम पीता हूँ

यारों

क्योंके

मैं

शराबी

शराबी

मुझ में खूबी यही है

मुझ में खूबी यही है

और यही है खराबी

मैं शराबी

शराबी

शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी

बैकशी गम को मार देती है बेकसों को ये प्यार देती है

जिसको दुनिया तबाह करती है उसके दुनिया सवार देती है

मुझको हैरत है कैसे जीते है जो पिलाए ना खुद ही पीते

है भूलके हम सभी रिवाजों को डूब के इसमे ही तो जीते है

डूब के इसमे ही तो जीते है देखा इसको जरासा आर ताबा भूला दी

मैं शेर रभी शेर रभी शेर रभी

बड़के जननत से है ये मैं खाना

जब भी जी चाहे तुम चले आना

घूट जब दो हलक से उत्रेंगे

जूम के चूमों के फिर पैमाना

कितनी पी है ये ना समझा साकी

खाली बोकल ना तू दिखला साकी

वो भी ले आ जो छुपा रखी है

कहीं मर जाओ ना प्यासा साकी

इसको पीने से देखो

हुई रंगत गुलाबे

मैं शेराबी शेराबी

कत्रे कत्रे का एहतराम करता हूँ

कत्रे कत्रे का एहतराम

करता हूँ

सुभाह से पीता हूँ शाम करता हूँ

आज सुन लो ये ऐलान जमाने वालो

ज़िनदगी महक कशी के

नाम करता हूँ

कोई परवा नहीं है

कोई परवा नहीं है

आज दिल को ज़रा भी

मैं शेराबी शेराबी

मैं शेराबी शाराबी

मैं शेराबी, शेराबी, मैं शेराबी, शेराबी

मुझे में खूबी यही है और यही है खराबी

तेरी नजरों को घोल के पीता हूँ

मैं तेरा नाम बोल के पीता हूँ

मुझे पे लागू नहीं कोई बंदिश

सरे आम दिल खोल के पीता हूँ

हम तो पीकें भी समल जाते हैं गम्में भी खुल के मुस्कुराते हैं

आप उनको ही समभाले साकी जो बिन पिये ही लर्खडाते हैं

बड़ी हसीन है जुल्फों की शाम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे पिलाए जब कोई माशूक अपने हाथों से

फिर नहीं रहते हराम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हाथ से दो चार जाम

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