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Hum tere shahar me aaye hain musafir ki tarah

Ghulam Alihuatong
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हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

मेरी मंजिल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ

मेरी मंजिल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ

सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ

सोचने के लिए इक रात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

अपनी आंखों में छुपा रखे हैं जुगनू मैंने

अपनी आंखों में छुपा रखे हैं जुगनू मैंने

अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आंसू मैंने

मेरी आंखों को भी बरसात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

आज की रात मेरा दर्द ऐ मोहब्बत सुन ले

आज की रात मेरा दर्द ऐ मोहब्बत सुन ले

कंप कंपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले

आज इज़हार ऐ खयालात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था

भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था

बेवफा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था

सिर्फ़ दो चार सवालात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौक़ा दे दे

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह

ह्म्म्म ह्म्म्म हम्म्म्म

ह्म्म्म हम्म्म्म

ह्म्म्म ह्म्म्म हम्म्म्म हम्म्म्म

हम्म्म्म हम्म्म्म हम्म्म्म

ह्म्म्म ह्म्म्म हम्म्म्म

ह्म्म्म हम्म्म्म

ह्म्म्म ह्म्म्म हम्म्म्म हम्म्म्म

हम्म्म्म हम्म्म्म हम्म्म्म

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