उर्मिला मातोंडकर, जैकी श्राफ  
गायक : स्वर्णलता, हरिहरन 
फ़िल्म : रंगीला (1996) 
गीतकार : महबूब 
संगीतकार : ए.आर.रहमान 
 हाये रामा ये क्या हुआ 
क्यूँ ऐसे हमें सताने लगे 
 तुम इतनी प्यारी हो सामने 
हम क़ाबू में कैसे रहें 
 जाओ हमको तो आती 
शर्म है 
 तेरी ऐसी अदा पे 
तो फ़िदा हम हैं 
  ह्म्म्म्म..तौबा मेरी तौबा 
अब क्या सितम है 
ऐसी ज़िद करने लगे 
जाने तुमने क्या क्या 
सोचा आगे आगे 
हम तो अब डरने लगे 
 अरे सोचा है ये के रात और दिन 
तुझे प्यार करेंगे हम 
डरते हो क्यूँ ओ जाने मन 
मेरे प्यार से 
 हाये रामा ये क्या हुआ 
क्यूँ ऐसे हमें सताने लगे 
 तुम इतनी प्यारी हो सामने 
हम क़ाबू में कैसे रहें 
 जाओ हमको तो आती 
शर्म है 
 तेरी ऐसी अदा पे 
तो फ़िदा हम हैं 
 हाये रामा ये क्या हुआ 
क्यूँ ऐसे हमें सताने लगे 
 तुम इतनी प्यारी हो सामने 
हम क़ाबू में कैसे रहें 
  काली काली ज़ुल्फ़ें गोरी गोरी बाँहें 
मुझको तड़पाने लगी 
होँठ भीगे भीगे नशीली ये आँखें 
प्यास को जगाने लगी 
 छोड़ो जी ऐसी बातों को 
रोको ना राहों को 
हो मोड़ो ना मेरी बाँहों को 
जाने दो ना...हाये रामा ये क्या हुआ 
क्यूँ ऐसे हमें सताने लगे 
 तुम इतनी प्यारी हो सामने 
हम क़ाबू में कैसे रहें 
 जाओ हमको तो आती 
शर्म है 
 तेरी ऐसी अदा पे 
तो फ़िदा हम हैं 
 हाये रामा ये क्या हुआ 
क्यूँ ऐसे हमें सताने लगे 
 तुम इतनी प्यारी हो सामने 
हम क़ाबू में कैसे रहें 
 जाओ हमको तो आती 
शर्म है 
 तेरी ऐसी अदा पे 
तो फ़िदा हम हैं 
thanks