कैसी बातें करते हो
कैसी बातें करते हो
जो बताना है वो छुपाते हो
हो यहीं, लेकिन भूल जाते हो
यूँ दिखाते हो, ग़म नहीं कोई
हँसते-हँसते फिर आँख भरते हो
हद करते हो
कैसी बातें करते हो
कैसी बातें करते हो
रात ने तुमको ज़ख्म दिए थे
चाँद से अब भी डरते हो
गुज़रे दिनों में उलझे हुए हो
रोज़ ज़रा सा मरते हो
जो बताना है वो छुपाते हो
जो बताना है वो छुपाते हो
यूँ दिखाते हो, ग़म नहीं कोई
हँसते-हँसते फिर आँख भरते हो
हद करते हो
कैसी बातें करते हो
सबसे सच्चा एक ही सच है
इस पे यक़ीं जो कर लो तुम
फ़र्क़ ये करता कोई नहीं है
कौन हूँ मैं और कौन हो तुम
क्यूँ ज़माने के ग़म उठाते हो?
आज को अपने क्यूँ गँवाते हो?
इश्क़ को, यारों, एक मौक़ा दो
क्यूँ भला उससे तुम यूँ लड़ते हो?
हद करते हो
कैसी बातें करते हो
कैसी बातें करते हो
जो बताना है वो छुपाते हो
हो यहीं, लेकिन भूल जाते हो
यूँ दिखाते हो, ग़म नहीं कोई
हँसते-हँसते फिर आँख भरते हो
हद, हद करते हो