गीत~ ये प्रयागराज है 
मोर मयारु छत्तीसगढ़ 
प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पे, आर्य का आगाज है 
प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पे, आर्य का आगाज है 
है पावन संगम की धरती, ये प्रयागराज है 
ये प्रयागराज है,,,, 
कण-कण पे भगवान बसे है 
पग-पग स्वर्ग से है धाम यहां 
गंगा यमुना सरस्वती मिल 
चरण पखारे राम यहां 
धर्म का ये है राजमुकुट,, 
धर्म का ये है राजमुकुट 
सनातनियों का नाज़ है 
है पावन संगम की धरती, ये प्रयागराज है 
ये प्रयागराज है,,,, 
अर्द्ध कुंभ और महाकुम्भ से 
होता है सिंगार जहां,,, 
ऋषि और मुनियों को दिखता है 
अलग-अलग किरदार जहां 
कल्पवास और अमृतबूंद,, 
कल्पवास और अमृतबूंद 
सनातनियों का नाज़ है 
है पावन संगम की धरती, ये प्रयागराज है 
ये प्रयागराज है,,,, 
प्रेम साहू (छत्तीसगढ़)