शोर-ग़ुल नहीं होगा, नहीं होगा, नहीं होगा, मेरी जाँ
मैं हूँगी, तू होगा और होगा ख़ामोश आसमाँ
शोर-ग़ुल नहीं होगा, नहीं होगा, नहीं होगा, मेरी जाँ
मैं हूँगी, तू होगा और होगा ख़ामोश आसमाँ
मन ही मन में बुदबुदाती एक नदी सी बहा करेगी
अनजानी धुन गुनगुनाती आती-जाती हवा रहेगी
तेरी धड़कन क्या कहती है सुनूँगी तेरे सीने पे रख के कान
मैं हूँगी, तू होगा और होगा ख़ामोश आसमाँ
शोर-ग़ुल नहीं होगा...
तेरी उँगलियों में गूँथ लूँगी उँगलियाँ मेरी
तुझे गेसुओं से ढक कर के मैं कर लूँगी रात गहरी
तेरी उँगलियों में गूँथ लूँगी उँगलियाँ मेरी
तुझे गेसुओं में ढक कर के मैं कर लूँगी रात गहरी
फिर सर को झुका के हौले से मैं चूम लूँगी चाँद
मैं हूँगी, तू होगा और होगा ख़ामोश आसमाँ
शोर-ग़ुल नहीं होगा, नहीं होगा, नहीं होगा, मेरी जाँ
मैं हूँगी, तू होगा और होगा ख़ामोश आसमाँ