गीत- तुम न होते तो हम ना होते
गीतकार- रमेश थेटे
परिकल्पना- मंदाताई रमेश थेटे
सौजन्य- अजय वीर
तुम न होते तो हम ना होते
तुम न होते तो हम ना होते
होता न ये नजारा,
होता न ये नजारा
भीम जी गर तुम ना आते,
भीम जी गर तुम ना आते,
होता कैसे गुज़ारा
तुम न होते तो हम ना होते
तुम न होते...
***संगीत***
सौजन्य- अजय वीर
नजरे झुकी हुयी थी,
पलके भीगी हुई थी
नजरे झुकी हुयी थी,
पलके भीगी हुई थी
वीरान राते और,
साँसे डरी हुयी थी
तूम ना चलते तो हम ना चलते
तूम ना चलते तो हम ना चलते
मिलता न ये किनारा,
मिलता ना ये किनारा
भीम जी गर तुम ना आते
भीम जी गर तुम ना आते
होता कैसे गुज़ारा
तुम न होते तो हम ना होते
तुम ना होते...
***संगीत***
सौजन्य- अजय वीर
काबिल भाइयों को,
मौका नहीं मिला था
काबिल भाइयों को,
मौका नहीं मिला था
चारो तरफ मनु ने
कब्जा किया हुआ था
तुम ना लड़ते तो हम न लड़ते
तुम ना लड़ते तो हम न लड़ते
मिलता न ये बसेरा,
मिलता न ये बसेरा
भीम जी गर तुम ना आते
भीम जी गर तुम ना आते
होता कैसे गुजारा
तुम न होते तो हम ना होते
तुम न होते...
***संगीत***
सौजन्य- अजय वीर
सदियों से दबी थी
आवाज ये हमारी
सदियों से दबी थी
आवाज ये हमारी
एहेसास तुमने कराया,
महनत सभी तुम्हारी
तूम ना कहते, तो हम न कहते
तूम ना कहते, तो हम न कहते
होता न ये सवेरा,
होता न ये सवेरा
भीम जी गर तूम न आते
भीम जी गर तूम न आते
होता कैसे गुज़ारा
तुम न होते तो हम ना होते
तुम न होते...
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