क्यूँ ठहरे हुए हैं यॅ रस्ते
क्यूँ थम सा गाएआ ज़िंदगी का सफ़र
है ये आज़माइश तो कया
इलाही जो तू है मेरा
कहीं गुमशुदा हैं सवेरे
अंधरे हैं क्यूँ छा गया इस क़दर
है ये आज़माइश तो क्या
इलाही जो तू है मेरा
शब् ये ढल जाए गी
सुबह नो आए गी
तेरी नज़रे करम की मुंतज़ीर हैं नज़र
है यॅ आज़माइश तो क्या
इलाही जो तू है मेरा
कोई आखन न रहे
अब कहीं गम ना रहे
अर्ज़ियाँ हमारी तू सुन ले जो सारी
तू हो जाएँ गम तेरा सहर
इलाही जो तू है मेरा
ये जाएगी हैं दिल में उमीदे
रुके न होसलो का सफर
है यॅ आज़माइश तो क्या
इलाही जो तू है मेरा
इलाही, इलाही, इलाही, इलाही, इलाही
इलाही, इलाही, इलाही, इलाही, इलाही
या रब, या रब, या रब
जब रूपी तुझसे मिलता हूँ
हर सर सिर्फ़ तेरे सजदे मैं सरकंडा है
टोहीद, टोहीद के मॉली, यही कहता है नबी
क्या, जो तेरे सिवा है, जो तेरे सिवा है
वो तेरा बंदा है
इलाही, इलाही, इलाही, इलाही, इलाही
इलाही, इलाही, इलाही, इलाही, इलाही
है यॅ आज़माइश तो क्या
इलाही जो तू है मेरा
है यॅ आज़माइश तो क्या
इलाही जो तू है मेरा
तू है मेरा, तू है मेरा
इलाही जो तू है मेरा