हां लीलण म्हारी, ज्याईजे ज्याईजे
गढ़ खरनाले शह र,, तू तो
गढ़ खरनाले शह र
बाबल ने निवण, दे व जे
तेजा जी कइँया, जाऊं
तेजा जी कइँया, जाऊं
खाली म्हारी पी ठ,, कोई
सूनी म्हारी पी ठ
मावड़ली देसी, ओ ल बा
ओ लीलण म्हारी, केइजे केइजे
सांचोड़ा समा.चा र, तू.तो
सांचोड़ा समा.चा र
नजराँ सूं देखी, के व जे
तेजा जी कइँया जाऊं
खाली म्हारी पी ठ,, कोई
सूनी म्हारी पी ठ
मावड़ली देसी, ओ ल बा
तेजाजी, ऐड़ा कांई लिखिया
खोटा विधाता ले ख, म्हारा
ऐड़ा कांई ले ख
तेजल से छेती, मैं तो पड़ा
ओ लीलण म्हारी राखो राखो
मनड़ा में धी र,, थे तो
मनड़ा में धी र,
सुरगा में मिलसी, जी व ड़ा
ओ तेजाजी, थां बिन, म्हारे
जीवण को नही सा र, म्हारो
सुनो यो, संसा र
लीलण भी संग में चा ल सी
प्यारी लीलण , म्हे थारो चंदो
तू म्हारी चको र , म्हारे
कालजिया री को र
मानूँ म्हे थाने जीव री जड़ी
हां लीलण म्हारी, मत.ना, तू तो
आँसूड़ा ढलका य, मत
आँसूड़ा ढलका य
तेजल को काँपे,, जी व ड़ो
तेजा जी कांईयां रोकूँ
तेजा जी कांईयां रोकूँ
नैणा मायलो नी र, म्हारे
नैणा मायलो नी र
म्हारो भरभर आयो, हि व ड़ो