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Tujhko dariya dili ki qasam @ RakeshKumar

Jagjit Singh/Meghdolhuatong
RakeshKumar©💞MSMT💞huatong
Lyrics
Recordings
RakeshKumar© Presents

jagjit-तुझको दरियादिली की क़सम साक़िया

तुझको दरियादिली की क़सम साक़िया

मुस्तक़िल दौर पर दौर चलता रहे

रौनक़-ए-मैक़दा यूँ ही बढ़ती रहे

रौनक़-ए-मैक़दा यूँ ही बढ़ती रहे

एक गिरता रहे इक सम्भलता रहे

रौनक़-ए-मैक़दा यूँ ही बढ़ती रहे

एक गिरता रहे इक सम्भलता रहे

(मुस्तक़िल = चिरस्थाई, निरंतर, लगातार)

chitra-सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ नहीं

सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ नहीं

शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे

अश्क भी चश्म-ए-पुरनम से बहते रहे

अश्क भी चश्म-ए-पुरनम से बहते रहे

और दिल से धुआँ भी निकलता रहे

सिर्फ शबनम ही शान-ए

(शबनम = ओस), (शान-ए-गुलिस्ताँ = बग़ीचे की शान), (अश्क = आँसू), (चश्म-ए-पुरनम = भीगी हुई आँखें)

jagjit-तेरे चेहरे पे ये ज़ुल्फ़ बिखरी हुई

तेरे चेहरे पे ये ज़ुल्फ़ बिखरी हुई

नींद की गोद में सुबह निखरी हुई

तेरे चेहरे पे ये ज़ुल्फ़ बिखरी हुई

नींद की गोद में सुबह निखरी हुई

और इस पर सितम ये अदाएं तेरी

और इस पर सितम ये अदाएं तेरी

दिल हैं आखिर कहाँ तक सम्भलता रहे

सिर्फ शबनम ही शान-ए

both-सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ नहीं

शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे

अश्क भी चश्म-ए-पुरनम से बहते रहे

और दिल से धुआँ भी निकलता रहे

सिर्फ शबनम ही शान-ए

chitra-तेरे कब्ज़े में हैं ये निज़ाम-ए-जहाँ

तेरे कब्ज़े में हैं ये निज़ाम-ए-जहाँ

तू जो चाहे तो सहरा बने गुलसिताँ

तेरे कब्ज़े में हैं ये निज़ाम-ए-जहाँ

तू जो चाहे तो सहरा बने गुलसिताँ

हर नज़र पर तेरी फूल खिलते रहे

हर नज़र पर तेरी फूल खिलते रहे

हर इशारे पे मौसम बदलता रहे

हर नज़र पर तेरी फूल खिलते रहे

हर इशारे पे मौसम बदलता रहे

both-सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ नहीं

शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे

अश्क भी चश्म-ए-पुरनम से बहते रहे

और दिल से धुआँ भी निकलता रहे

सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ

-सबा अफ़गानी

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