कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
महाभारत
महाभारत
महाभारत
आ.. आ.. आ.. आ..
अत्श्री महाभारत कथा
अत्श्री महाभारत कथा
आ.. आ..
महाभारत कथा
महाभारत कथा
कथा है पुरुषार्थ की ये
स्वार्थ की परमार्थ की
सारथि जिसके बने श्री कृष्णा भारत पार्थ की
शब्द दिग्घोषित हुवा जब सत्या सार्थक सर्वथा
शब्द दिग्घोषित हुवा
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमअधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम धर्म संस्थापनार्थाये संभवामि युगे युगे।।
जो कुछ है संसार में
जो कुछ है संसार
इसी कथा में कह दिया
वेदव्यास ने सार
याद रखें हम आप सब
कर्मों के परिणाम
विदा ले रहे आज हम
करते हुए प्रणाम
सीख हम बीते युगों से,
नये युग का करें स्वागत,
करें स्वागत,
करें स्वागत,
करें स्वागत.....॥
आ.. आ.. आ.. आ..
भारत की है कहानी,
आ.. आ..
सदियो से भी पुरानी।
है ज्ञान की ये गंगा,
आ.. आ..
आ.. आ..
है ज्ञान की ये गंगा,
ऋषियों की अमर वाणी॥
है ज्ञान की ये गंगा,
ऋषियों की अमर वाणी॥
आ.. आ..
ये विश्व भारती है,
आ.. आ..
वीरों की आरती है।
है नित नयी पुरानी,
भारत की ये कहानी॥
महाभारत,
महाभारत...
महाभारत...
hoo ho hoo महाभारत....!
आ.. आ.. आ.. आ..आ.. आ.. आ.. आ..