तेरी झाखी के मा गोला मारु फाट गोफिया क्षण का
एक निशाना चुकन ना दूना मैं छलिया बालक पानी का
तेरे काले काले केश तेरे जणू छा रही घटा पटेरे पे
ढुंगे ऊपर चोटी काली जणू आग लगेया मंडेरे पे
घणी देर में नजर गयी तेरे चन्द्रमा से चेहरे पर
सब बाता ने भूलग्या इब सांग करुगा तेरे पे
मैं खाश सपेरा तू नागण काली जहर निकल्या फण का
एक निशाना चुकन ना दूना मैं छलिया बालक पानी का
छाती खचमा पेट सुकड़मा आँख मृग की ढाल परी
औरत सुगा काढ़े से यो किस माणस का काल परी
होठा ते लली परी नु सोचेगी लखमी चंद का
करके दुनिया ख्याल परी
एक निशाना चुकन ना दूना मैं छलिया बालक पानी का