संध्या, महीपाल
गायक : महेन्द्र कपूर
फ़िल्म : नवरंग (1959)
गीतकार : भरत व्यास
संगीतकार : सी. रामचंद्र
श्यामल श्यामल बरन
कोमल कोमल चरण
तेरे मुखड़े पे चंदा गगन का जड़ा
बड़े मन से विधाता ने तुझको घड़ा
बड़े मन से विधाता ने तुझको घड़ा
श्यामल श्यामल बरन
कोमल कोमल चरण
तेरे बालो में सिमटी, सावन की घटा....
तेरे बालो में सिमटी, सावन की घटा
तेरे गालों पे छिटकी, पूनम की छटा
ओ पूनम की छटा
तीखे तीखे नयन
तीखे तीखे नयन
मीठे मीठे बयन
तेरे अंगो पे चंपा का रंग चढ़ा
बड़े मन से विधाता ने, तुझको घड़ा
श्यामल श्यामल बरन
कोमल कोमल चरण
हो...ये उमर, ये कमर
सौ सौ बल खा रही सौ सौ बल खा रही
तेरी तिरछी नज़र तीर बरसा रही
तीर बरसा रही
नाज़ुक नाज़ुक बदन
नाज़ुक नाज़ुक बदन
धीमे धीमे चलन
तेरी बांकी लटक में है जादू बड़ा
बड़े मन से विधाता ने तुझको घड़ा
श्यामल श्यामल बरन
कोमल कोमल चरण
किस पारस से सोना, ये टकरा गया
तुझे रच कर चितेरा भी चकरा गया
किस पारस से सोना, ये टकरा गया
तुझे रच कर चितेरा भी चकरा गया
हो...चकरा गया
ना इधर जा सका
ना इधर जा सका
ना उधर जा सका
रह गया देखता वो खड़ा ही खड़ा
बड़े मन से विधाता ने, तुझको घड़ा
ओ बड़े मन से विधाता ने, तुझको घड़ा
श्यामल श्यामल बरन
कोमल कोमल चरण
thanks