धर बहुरूप मोहे रंग लगाए
नाम "गोविंद", कभी "श्याम" बताए
धर बहुरूप मोहे रंग लगाए
नाम "गोविंद", कभी "श्याम" बताए
तू मोरी श्वासों की माला का मोती
भेद मैं जानूँ, तू मोरा रंग-रसिया
आज बिरज में...
आज बिरज में...
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
रंग दो लाल, कान्हा, चुनर ये मोरी
बलिहारी जाऊँ तुझपे मैं तो री
रंग दो लाल, कान्हा, चुनर ये मोरी
बलिहारी जाऊँ तुझपे मैं तो री
आज दिखे मोरी सूरत भी तुझसी
मोहे मन तू ही तो, मन-बसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
नाम से तोरे छेड़े हैं मोहे सखियाँ
हैं सारी मतवारी तोरी, कन्हैया
नाम से तोरे छेड़े हैं मोहे सखियाँ
हैं सारी मतवारी तोरी, कन्हैया
होरी है आज, वो भी तुझसे रंगी हैं
सब में दिखे मोहे बँसी-बजैया
आज बिरज में...
आज बिरज में...
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
होरी रे होरी, बरजोरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया
आज बिरज में होरी रे, रसिया