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फ़ुर्क़त की गली इन हाथों में लिखी मिली

मोहब्बत पगली, जो नसीब को मेरे ख़ली

फ़ुर्सत ना तुझे इक पल भी जो मेरे लिए

इन हाथों में लिखी फ़ुर्क़त की गली

फ़ुर्क़त की गली इन हाथों में लिखी मिली

मोहब्बत पगली, जो नसीब को मेरे ख़ली

फ़ुर्सत ना तुझे इक पल भी जो मेरे लिए

इन हाथों में लिखी फ़ुर्क़त की गली

ये भी ना है मुनासिब, जी लेंगे तेरे बिन

साँसों की रस्म बाक़ी, बाक़ी ज़रा से दिन

सीने की साँस थे, हवा थे, क्यूँ गए?

दीवारें दर्द की बना के क्यूँ गए?

मोहलत ना मिली इक पल की, ना सँभल सके

इन हाथों में लिखी फ़ुर्क़त की गली

फ़ुर्क़त की गली इन हाथों में लिखी मिली

मोहब्बत पगली, जो नसीब को मेरे ख़ली

फ़ुर्सत ना तुझे इक पल भी जो मेरे लिए

इन हाथों में लिखी फ़ुर्क़त की गली

फ़ुर्क़त की गली इन हाथों में लिखी मिली

मोहब्बत पगली, जो नसीब को मेरे ख़ली

फ़ुर्सत ना तुझे इक पल भी जो मेरे लिए

इन हाथों में लिखी फ़ुर्क़त की गली

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