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Jaise sooraj ki garmi se BEST QUALITY

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Lyrics
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

INTERLUDE MUSIC

भटका हुआ मेरा मन था कोई

मिल ना रहा था सहारा

भटका हुआ मेरा मन था कोई

मिल ना रहा था सहारा

लहरों से लड़ती हुई नाव को

लहरों से लड़ती हुई नाव को

जैसे मिल ना रहा हो किनारा,

मिल ना रहा हो किनारा

उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो

किसी ने किनारा दिखाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

INTERLUDE MUSIC

शीतल बने आग चंदन के जैसी

राघव कृपा हो जो तेरी

राघव कृपा हो जो तेरी

उजियाली पूनम की हो जाएं रातें

जो थीं अमावस अंधेरी,

उजियाली पूनम की हो जाएं रातें

जो थीं अमावस अंधेरी,

जो थीं अमावस अंधेरी

युग युग से प्यासी मरुभूमि ने

जैसे सावन का संदेस पाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

INTERLUDE MUSIC

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो

उस पर कदम मैं बढ़ाऊं

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो

उस पर कदम मैं बढ़ाऊं

फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में

मैं न कभी डगमगाऊं,

फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में

मैं न कभी डगमगाऊं,

मैं न कभी डगमगाऊं

पानी के प्यासे को तक़दीर ने

जैसे जी भर के अमृत पिलाया

पानी के प्यासे को तक़दीर ने

जैसे जी भर के अमृत पिलाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर की छाया

JAY SHRI RAM

Jaise sooraj ki garmi se BEST QUALITY by Sharma Bandhu - Lyrics & Covers