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SHIV SHAMBHU JAI JAI TRIPURARI

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Lyrics
शिवशम्भू

शिवशम्भू जय जय त्रिपुरारी जटा जूट में गंगा धारी भक्त लगाए आस तुम्हारी जय जयकार - 2

. शिवशम्भू

कमल विलोचन झुके झुके से पद्मासन में ध्यान रमाए - 2

कृपामूर्ति हे शिवशंकर वक्र चन्द्र का तिलक सजाए - 2

ध्यान तुम्हारा गान तुम्हारा भक्तों को सुख से भर जाए - 2

कानों में पहिरे हो कुंडल मुंड माल साजे बग शस्त्र दीन दुखी के तुम हो संबल जय जयकार - 2

शिवशम्भू

एक रूप में शांत सलोने एक रूप से भीम भयंकर - 2

भक्तों की रक्षा करते हो दुष्ट पापियों को दंडित कर - 2

पाप ताप सारे हर लेते कहलाते हो इसीलिए हर -2

ताण्डव कर नटराज कहाते कला ज्ञान सब तुमसे पाते निर्मल भक्ति धार बहाते जय जयकार - 2

शिवशम्भू

महादेव तुम फिर भी भोले भस्मासुर जैसे वर पाते - 2

जला दिया था कामदेव को कामारी तब से कहलाते - 2

जला दिया फिर जिला दिया तो आसुतोष

कह सब गुण गाते - 2

द्वार तुम्हारे याचक आते अपना मनचाहा वर पाते जाके तेरी महिमा गाते जय जयकार-2

शिव शम्भू जय जय त्रिपुरारी जटा जूट में गंगा धारी भक्त लगाए आस तुम्हारी जय जयकार

शिव शम्भू तुम्हारी जय जयकार

शिव शम्भू तुम्हारी जय जयकार

शिव शम्भू तुम्हारी जय जयकार

SHIV SHAMBHU JAI JAI TRIPURARI by Sharma Bandhu - Lyrics & Covers