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Sakhi re mero radharaman by indresh Upadhyay ji(SIMRAN)

Indresh Upadhyay Jihuatong
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छीन ले हंस के सबका ये मन सखी री

मेरो राधा-रमन मेरो राधा-रमन

मुखडे को देख कोटि चंदा ना जाये

घुघराली लट पे घटाये वारी जाये

याके जादू ,भरे दो नयन सखी री मेरो......

पतली कमर किन्तु अंग है घठीले

अधरों पे अमृत है नैना नशीले

थोडा बचपन,है थोडा यौवन सखी री मेरो......

फूलन की सोहे गले माला वैजयंती

कामरियाँ काली ओर पटका बसंती

याके पैजनियाँ,बाजे चरन सखी री मेरो.......

राधा हिर्देय में करे रमण बिहारी

दौवन की एक छवि लागे अति प्यारी

राधा बिजली,के साथ श्याम घन

सखी री मेरो .......

छीन ले हंस के सबका ये मन

सखी री मेरो राधा-रमन

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