बादल, मुहल्ला, गली बारिशों की
खिड़की खुली है नई ख्वाहिशों की
टप-टुप-टप मेरी छत पे सावन
बहती मेरी कश्तियाँ
पैर के अंगूठे से पानी छुआ है
ठंडा सा जादू मुझ पे हुआ है
छप-छुप-छप, छींटा-छींटा
मगन, रेत पे नए निशाँ
छूने चली आसमाँ
छूने चली आसमाँ
समंदर के सीने से उठ के लहर
छूने चली आसमाँ
खनकती हँसी हूँ, लिए मुट्ठी में सिक्के
बेमोल मस्ती कहीं भी ना बिके
खन-खनक-खन, खनके सारा गगन
तरन्नुम में सारा जहाँ
छूने चली आसमाँ
छूने चली आसमाँ
समंदर के सीने से उठ के लहर
छूने चली आसमाँ
होंठ मेरे मुड़ के मुस्कुराहटें बना गए
अक्स मेरे छूट के साथ मेरे आ गए
होंठ मेरे मुड़ के मुस्कुराहटें बना गए
अक्स मेरे छूट के साथ मेरे आ गए
अपने संग चल रही हूँ मैं
करवटें बदल रही हूँ मैं
छूने चली आसमाँ
छूने चली आसमाँ
समंदर के सीने से उठ के लहर
छूने चली, छूने चली...
छूने चली आसमाँ