तराज़ू के बस, दो थाल हैं
इक और हम दूजे में ख्वाब है
ज़िन्दगी ये परेशान है
ग़नीमत है तू है यहाँ
जीने में आए मज़ा
ख़रीदा नहीं, जाता ख्वाब है
किराया भी आ साला जवाब है
ज़िन्दगी ये परेशान है
ग़नीमत है तू है यहाँ
जीने में आए मज़ा
तू जो मिला, जागा ख़्वाब है
खोई हुई मेरी किताब है
मुस्काया सा आदाब है
जीने में आए मज़ा
सुस्ताए मौसम, आबाद हैं
हवाओं के रुख़ हमसे नाराज़ हैं
ज़िन्दगी ये परेशान है
तू जो मिला, चिढ़ा साज है
ख़ामोशी को मिली आवाज़ है
बहती हवा सा एहसास है
जीने में आए मज़
बिगड़ा हुआ, हिसाब है
थोड़ा नफ़ा थोड़ा नुकसान है
ज़िन्दगी ये परेशान है
जीने में आए मज़ा