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हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

दुनिया-भर की भक्ति का है...

दुनिया-भर की भक्ति का है भंडार तुम्हारी आँखों में

हे मारुति...

हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

जय-जय बजरंग बली

जय, जय, जय बजरंग बली

मैं आन पड़ा, तेरे द्वार खड़ा

मैंने रामकथा का सार पढ़ा

तेरे नैनों में हर बार, सखा

मेरे दिल पे जब भी भार पड़ा

मारुति, तुम्हें याद करा

याद करा, ये भार धरा

मुझे पार लगा

मैं आस लगा के पास खड़ा, मुझे आज बचा

ख़ुद को भी ना जान सका था

रामकथा से नाम बना

काम का था ना प्राणी

पर आज ज़रा ना नाम घटा

जहाँ राम पता, जहाँ राम बसा

जज़्बात वहाँ, बस बात वहाँ

दो राम सज़ा, ना नाम रटा

कर ध्यान करा, ना राम क्षमा

जब से तेरा नाम लिखे हैं, रस्ते भी आसान दिखे

राम दुलारे, साथ तिहारा, मुझको तो हर स्थान दिखे

राम-नाम के नारों में कोई पूछे मुझको, "कौन दिखा?"

मुस्कुरा के बोला मैं, "हर जगह हनुमान दिखे"

जब से तेरा नाम लिखे हैं, रस्ते भी आसान दिखे

राम दुलारे, साथ तिहारा, मुझको तो हर स्थान दिखे

पापों के अँधेरों में थोड़ा सा ना मिला है डर

हाथ लिए मशाल मुझे अंजना के लाल दिखे

तुम प्रेम-भरी एक गागर हो

शक्ति के अनोखे सागर हो

जहाँ राम-नाम का हीरा मिले

जहाँ राम-नाम का हीरा मिले

उस हाथ के तुम सौदागर हो

करतार की आँखों में तुम हो

करतार तुम्हारी आँखों में

हे मारुति...

हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

जय-जय बजरंग बली

जय, जय, जय बजरंग बली

आँखों में देखूँ मैं, आँसू सँभाल के साँस जो राम का ध्यान वो करते

आँखों में देखूँ मैं, आग जो समय के पाड़ से जली कल्याण वो करते

आँखों में देखूँ मैं, शक्ति जो राम के नाम के बल पे समाई हुई है

आँखों में देखूँ मैं, क्रोध जो राम का नाम ना ले जा संहार वो कर दे

जो सूर्य को मुख में रखने की क्षमता रखते

हाथों को जोड़ चरणों में आ जाएँ

जो सागर को एक ही छलाँग में लाँघे

वो ग़ैरों के आगे भी सर को झुकाएँ

जो सोने की लंका को राख में कर दे

वो सोने की रामकथा को बताएँ

अमीर ना धन से, ना तन से, ना मन से

वो राम ती सेवा के धन को कमाएँ

जो सुख में भी साथ थे, दुख में भी साथ हैं

राम सिवाय सा विषय अज्ञात है

रूप में करुणा की झाँकी झलकती है

रूप में चरणों को छूने की आस है

अग्नि भी जिनको जलाने की सक्षम ना

राम के नाम का करते प्रयास हैं

जनेऊ धारी, भजन में मगन

करते राम की सेवा, करने को विख्यात हैं

मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिम्

यत्कृपा तमहं वन्दे श्री हनुमंततारण्ं

नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे

नमः श्रीराम भक्ताय शयामास्याय च ते नमः

तुम जैसी विभूति ना अन्य हुई

प्रभु, भक्ति तुम्हारी अनन्य हुई

प्रतिभा के धनी, हनुमान, सुनो

प्रतिभा के धनी, हनुमान, सुनो

तुम्हें पा के धरती धन्य हुई

माता मिथिलेश दुलारी का है...

माता मिथिलेश दुलारी का है प्रेम तुम्हारी आँखों

हे मारुति...

हे मारुति, सारी रामकथा का सार तुम्हारी आँखों में

जय-जय बजरंग बली

जय, जय, जय बजरंग बली

जय-जय बजरंग बली

जय, जय, जय बजरंग बली

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