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Barsat ke din aye by shahzad

Alka Yagnik/kumar shanuhuatong
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हे हे हे हे हे....

बरसात के दिन आए

मुलाक़ात के दिन आए

बेताबियों के शरारे बीतछे हैं

यह सावन की रिमझिम झड़ी हैं

कदम बेखुदी में बहकने लगे हैं

यह मदहोशियों की घड़ी हैं

बरसात के दिन आए.

मुलाक़ात के दिन आए

हम सोच में थे जिनके

उस रात के दिन आए

बरसात के दिन आए

बरसात के दिन आए

जलते रहे हम ख़यालो के लाउ से,

सही हुँने बरसो जुदाई

छम छम बरसती सुहानी घटा ने,

अजब सी अगन हैं लगाई

बरसात के दिन आए

मुलाक़ात के दिन आए

हम सोच में थे जिनके,

उस रात के दिन आए

बरसात के दिन आए,

बरसात के दिन आए

ना तुम होश में हो

ना हम होश में हैं

बहक जाए ना तुम संभलो हमें

गुज़ारिश यही हैं तमन्नाओ की

सनम बाजुओ में था लो हूमें

जसबात के दिन आए मुलाक़ात के दिन आए

हम सोच में थे जिनके उस रात के दिन आए

बरसात के दिन आए बरसात के दिन आए

दीवानी दीवानी जवानी मस्तानी

गर्म साँसों एमिन तूफान हैं

दीवाना दीवाना समा हैं दीवाना

ज़रा सी चाहत भी बेईमान हैं

धुआ सा उठे हैं कही जिस्म से

कहो बादलो से बरसते रहे

सहा जाए ना यह जुदाई का गुम

भला कब तलाक़ हम तरसते रहे

बारात के दिन आए

मुलाक़ात के दिन आए

हम सोच में थे

जिनके उस रात के दिन आए

बरसात के दिन आए

बरसात के दिन आए

हे हे ......

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