menu-iconlogo
huatong
huatong
avatar

Main Sharabi

Arvinder Singhhuatong
sherm5254huatong
Paroles
Enregistrements
लेके साकी तेरा नाम पीता हूँ

अपने मस्ती में सरेशाम पीता हूँ

छुपके पीना है बुजदिले यारों

इसी लिए मैं तो खुले आम पीता हूँ

यारों

क्योंके

मैं

शराबी

शराबी

मुझ में खूबी यही है

मुझ में खूबी यही है

और यही है खराबी

मैं शराबी

शराबी

शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी शेर रभी

बैकशी गम को मार देती है बेकसों को ये प्यार देती है

जिसको दुनिया तबाह करती है उसके दुनिया सवार देती है

मुझको हैरत है कैसे जीते है जो पिलाए ना खुद ही पीते

है भूलके हम सभी रिवाजों को डूब के इसमे ही तो जीते है

डूब के इसमे ही तो जीते है देखा इसको जरासा आर ताबा भूला दी

मैं शेर रभी शेर रभी शेर रभी

बड़के जननत से है ये मैं खाना

जब भी जी चाहे तुम चले आना

घूट जब दो हलक से उत्रेंगे

जूम के चूमों के फिर पैमाना

कितनी पी है ये ना समझा साकी

खाली बोकल ना तू दिखला साकी

वो भी ले आ जो छुपा रखी है

कहीं मर जाओ ना प्यासा साकी

इसको पीने से देखो

हुई रंगत गुलाबे

मैं शेराबी शेराबी

कत्रे कत्रे का एहतराम करता हूँ

कत्रे कत्रे का एहतराम

करता हूँ

सुभाह से पीता हूँ शाम करता हूँ

आज सुन लो ये ऐलान जमाने वालो

ज़िनदगी महक कशी के

नाम करता हूँ

कोई परवा नहीं है

कोई परवा नहीं है

आज दिल को ज़रा भी

मैं शेराबी शेराबी

मैं शेराबी शाराबी

मैं शेराबी, शेराबी, मैं शेराबी, शेराबी

मुझे में खूबी यही है और यही है खराबी

तेरी नजरों को घोल के पीता हूँ

मैं तेरा नाम बोल के पीता हूँ

मुझे पे लागू नहीं कोई बंदिश

सरे आम दिल खोल के पीता हूँ

हम तो पीकें भी समल जाते हैं गम्में भी खुल के मुस्कुराते हैं

आप उनको ही समभाले साकी जो बिन पिये ही लर्खडाते हैं

बड़ी हसीन है जुल्फों की शाम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे पिलाए जब कोई माशूक अपने हाथों से

फिर नहीं रहते हराम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हमारे हाथ से दो चार जाम

पी लीजे हाथ से दो चार जाम

Davantage de Arvinder Singh

Voir toutlogo

Vous Pourriez Aimer