कुछ कह रही थी, कुछ सुन रही थी ख़ामोशी मेरी तेरी
सपने बुने थे जो, ख़्वाब संग चुने थे वो होंगे हक़ीक़त नहीं
अब ये लम्हा कैद कर के, आख़िरी तुम को सलाम कर के
खुद को ये समझा रहे
के प्यारी सी यादों का, प्यारी सी बातों का इक बन गया सिलसिला
थोड़ा सा तुझ से था, और थोड़ा मुझ से था इस प्यार का वास्ता
प्यारी सी यादों का और प्यारी बातों का इक बन गया सिलसिला
थोड़ा सा तुझ से था और थोड़ा मुझ से था इस प्यार का वास्ता
ख़ामोशी के साए में क्यूँ कैद हैं ये पल बिखरे से रिश्तों में
बिखरे से हैं अब ग़म
ख़ामोशी के साए में क्यूँ कैद हैं ये पल बिखरे से रिश्तों में
बिखरे से हैं हम
अंजानी सी राहों में बिखरे से हैं अब हम
प्यारी सी लगने लगी है मुझे अब ये बदनसीबी बड़ी
ख़ामोशी से मोहब्बत है कर ली, दर्द से दोस्ती
अब ये लम्हा कैद कर के, आख़िरी तुम को सलाम कर के
खुद को ये समझा रहे
ह्म, इक बन गया सिलसिला
थोड़ा सा तुझ से था, थोड़ा मुझ से था इस प्यार का वास्ता
प्यारी सी यादों का और प्यारी बातों का इक बन गया सिलसिला
थोड़ा सा तुझ से था और थोड़ा मुझ से था इस प्यार का वास्ता