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Phir Laut Aayi Zindagi

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Paroles
बेवजह ही जो

हमसे रूठ कर गयी थी

बेवजह ही जो

हमसे रूठ कर गयी थी

फिर लौट आई है ज़िंदगी

फिर लौट आई है ज़िंदगी

ना जाने आज

कितने अरसे के बाद

ना जाने आज

कितने अरसे के बाद

हमें रास आई है ज़िन्दगी

फिर लौट आई है ज़िन्दगी

खुद को ही चुनवा के

वक़्त की दीवारों में

बुत से बने हुए थे हम

खुद को ही चुनवा के

वक़्त की दीवारों में

बुत से बने हुए थे हम

कल तक समझते थे

कैद हम जिसे

कल तक समझते थे

कैद हम जिसे

आज वो रिहाई है ज़िन्दगी

फिर लौट आई ज़िन्दगी

हज़ारों ही सूरज की

रोशनी जो मिल के

मिटा ना सकी वो अंधेरा

हज़ारों ही सूरज की

रोशनी जो मिल के

मिटा ना सकी वो अंधेरा

हल्के से उम्मीद ने छू लिया

हल्के से उम्मीद ने छू लिया

और जगमगाई है ज़िन्दगी

फिर लौट आई है ज़िन्दगी

बेवजह ही जो

हमसे रूठ कर गयी थी

बेवजह ही जो

हमसे रूठ कर गयी थी

Phir Laut Aayi Zindagi par Hiral Brahmbhatt - Paroles et Couvertures