दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय
दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय
जय जो जय अरे जाएगी कहाँ पोरी
अरे जाएगी कहाँ तेरे पीछे ये पोरा
अई जो अई
अई जो अई हट दरिया किनारे इक बँगलो
गो पोरी जय जो जय
दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय
मैं जा के खिड़की पे बैठूँगी सोलह
सिंगार कर के
दूर से ही ललचाऊँगा क्या मैं तुझको
पुकार कर के
मैं जा के खिड़की पे बैठूँगी सोलह
सिंगार कर के
दूर से ही ललचाऊँगा क्या मैं तुझको
पुकार कर के
रहूंगी न तेरे साथ, अरे छोड़ मेरा हाथ
जीया में है कोई बात, ज़बां पे है कोई बात
कैसी तू बनती है री, अई, अई
हट दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी
जय जो जय
जय जो जय अरे जाएगी कहाँ पोरी
अरे, जाएगी कहाँ
तेरे पीछे ये पोरा अई जो अई
अई जो अई
हट दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी
जय जो जय
ऐसा ही बँगला तेरे लिये बाँधूँ तो
पाए जीया चैन
एक करे वादा, तो बाहों में झूलूँ
तेरे बिना रैन
ऐसा ही बँगला तेरे लिये बाँधूँ तो
पाए जीया चैन
एक करे वादा, तो बाहों में झूलूँ
तेरे बिना रैन
सदा साथ निभाऊँ, कहीं और न जाऊँ
कभी हाथ न आए, कभी दिल में समाए
काहे सतवती है री, अई अई
हट दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी
जय जो जय
जय जो जय अरे जाएगी कहाँ ये पोरी
अरे, जाएगी कहाँ
तेरे पीछे ये पोरा अई जो अई
अई जो अई
हट दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी
जय जो जय
दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय
दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय
दरिया किनारे इक बँगलो गो पोरी जय जो जय