गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं
मैं उसका नाम
हाय राम हाय राम
हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं
मैं उसका नाम
हाय राम हाय राम
सोचा है एक दिन
मैं उससे मिल के
कह डालूँ अपने
सब हाल दिल के
और कर दूँ जीवन उसके हवाले
फिर छोड़ दे चाहे अपना बना ले
मैं तो उसका रे
हुआ दीवाना
अब तो जैसा भी
मेरा हो अंजाम
हो गुम है किसी के
प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं
मैं उसका नाम
हाय राम हाय राम
चाहा है तुमने
जिस बावरी को
वो भी सजनवा
चाहे तुम्हीं को
नैना उठाए तो प्यार समझो
पलकें