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Baharon Ne Mera Chaman Loot Kar

Mukesh/Anand Bakshihuatong
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बहारों ने मेरा चमन लूटकर

खिज़ां को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया

किसीने चलो दुश्मनी की मगर

इसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया

बहारों ने मेरा चमन लूटकर

मैं समझा नहीं ऐ मेरे हमनशीं

सज़ा ये मिली है मुझे किस लिये

सज़ा ये मिली है मुझे किस लिये

के साक़ी ने लब से मेरे छीन कर

किसी और को जाम क्यों दे दिया

बहारों ने मेरा चमन लूटकर

मुझे क्या पता था कभी इश्क़ में

रक़ीबों को कासिद बनाते नहीं

रक़ीबों को कासिद बनाते नहीं

खता हो गई मुझसे कासिद मेरे

तेरे हाथ पैगाम क्यों दे दिया

बहारों ने मेरा चमन लूटकर

खुदाया यहाँ तेरे इन्साफ़ के

बहुत मैंने चर्चे सुने हैं मगर

बहुत मैंने चर्चे सुने हैं मगर

सज़ा की जगह एक खतावार को

भला तूने ईनाम क्यों दे दिया

बहारों ने मेरा चमन लूटकर

खिज़ां को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया

किसीने चलो दुश्मनी की मगर

इसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया

Davantage de Mukesh/Anand Bakshi

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