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Kaisi Majburi

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यह कैसी है मज़बूरी जिसमे छुपा हू मैं

सारी दुनिया चले लेकिन रुका हू मैं

यह कैसी है मज़बूरी जिसमे छुपा हू मैं

सारी दुनिया चले लेकिन रुका हू मैं

यह लम्हा कहीं छूट जाए ना

यह सपना कही टूट जाए ना

ऐसी मेरी है तुझसे इबादत

करना मुझे यूँ हरदम मोहोब्बत

सितारो को फिर मैं सता दू

तेरे आँसुओ को फिर मैं सूखा दू

यह कैसी है मज़बूरी जिसमे छुपा हू मैं

सारी दुनिया चले लेकिन रुका हू मैं

बातें अनकही अनसुनी सी दिल में

आसू भी ना बहे थे

ना थी ज़िंदगी मुश्किल में

ऐसा भी कोई वक़्त था

जिसे याद करने से मैं डरु

बुलाए मुझे यादें ये

इंतेज़ार इनका मैं करू

भीगी भीगी सी रातो में

प्यार भरी दीवानी मुलाक़ातो में

तू कैसी है कमज़ोरी जिसमे फसा हू मैं

तेरे लिए ही कही ना कही रुका हू मैं

यह कैसी है मझबूरी जिसमे च्छूपा हू मैं

क्यू ना हो यह कभी पूरी

और क्यू जगा हू मैं

आ भी जा आए जहाँ

आ भी जा

आ भी जा आए जहाँ

आ भी जा

आ भी जा आए जहाँ

आ भी जा

आ भी जा आए समा

आ भी जा

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