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तू राहत यूँ

मिलने की आदत है

ज़रा सुन तो मेरे मन्न को ज़रा

उलझन तू

चाहत क्यों

कैसे ये उल्फत है

चड़े हम जो तेरे रंग को

ज़रा

तुमने छोड़ा यूँ

रहे हम भी हम ना

रहे तुम भी तुम ना कहो

रुख यह मोड़ा क्यों

बहे गुम भी संग हाँ

रहे तुम भी संग ना

सुनो

तू गुलशन यूँ

खुशबू की हसरत है

मेरे तन को मेरे मन्न को

ज़रा

धड़कन तू

आदत तू

कैसे यह भी रेहमत है

चले तुम तोह चले हम भी

ज़रा

तुमने छोड़ा यूँ

रहे हम भी हम ना

रहे तुम भी तुम ना कहो

रुख यह मोड़ा क्यों

बहे गम भी संग हाँ

रहे तुम भी संग ना

सुनो

तुमने छोड़ा यूँ

रहे हम भी हम ना

रहे तुम भी तुम ना कहो

रुख यह मोड़ा क्यों

बहे गम भी संग हाँ

रहे तुम भी संग ना

सुनो

Davantage de Rishi Kumar/Nakul Chugh/Anshul Mathur

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