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Tu Os Banke Meri

Saurabh Gangal/Vikrant Bhartiyahuatong
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तू ओस बनके मेरी

पलकों पे ठहर जाना

मै बूंद बनके तेरे

एहसास को छू लूँगा

तू प्‍यास बनके मेरे

होठों पे सफर करना

मै धूप बनके तेरी

किरणो में बह लूँगा

ओ जिस्‍म है तू मेरा

मैं तेरी परछाई

दूर तुने की है

मेरी ये तन्‍हाई

धड़कनो में मेरी बस

तेरी आवाज़ें हैं

आँखों के जज़ीरो में

तेरी परवाज़ें हैं

तेरी परवाज़ें हैं

तू छाव सी है दिल को

ठंडक देते रहना

मै धूप बनके तेरी

किरणों मे बह लूँगा

तू ओस बनके मेरी

पलकों पे ठहर जाना

मै बूंद बनके तेरे

एहसास को छू लूँगा

ओ रंग तेरे खिलते हैं

सुबह की पहली किरण में

कुछ पल ठहरूँ तेरे

खुशबू जैसे बदन में

तू ही तू मिलता है

ख्‍वाबों की ताबीरों में

आ तुझको लिखवा लूँ मैं

हाठों की लकीरों में

हाठों की लकीरों में

तू इत्र बनके मेरी

नस नस को महकना

मैं लफ़्ज़ बनके तेरी

बातों से निकलूँगा

तू ओस बनके मेरी

पलकों पे ठहर जाना

मै बूंद बनके तेरे

एहसास को छू लूँगा

Davantage de Saurabh Gangal/Vikrant Bhartiya

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