हथेली पर तुम्हारा नाम लिखते हैं, मिटाते हैं
तुम ही से प्यार करते हैं, तुम ही से ही क्यूँ छुपाते हैं?
तुम ही से ही क्यूँ छुपाते हैं?
ज़ुबाँ पे बात है, लेकिन सुनाना ही नहीं आता
हमें तुम से मोहब्बत है, बताना भी नहीं आता
छुपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके तुम को देखा करते हैं
हाल-ए-दिल सुनाने से ना जाने क्यूँ डरते हैं
ना जाने क्यूँ डरते हैं
कितना पागल दिल है मेरा, मनाना भी नहीं आता
हमें तुम से मोहब्बत है, बताना भी नहीं आता
छुपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता