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Kya Tujh Pe Nazm Likhon (Album Version)

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Lirik
क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखों

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

कलावती में तेरी च्चबी हैं

मुखड़ा रूप का दर्पण

तेरे लबों के रंग में पाए

मैने लाली अमन

हवा में उड़ती लटक

स्वागत करती जाई जायवंती

महका महका खिल्ला

खिलासा तेरा रंग बसंती

बाल कमाल पे जैसे पहदिपार

घन घोर घटाए

मेघ से नैना सावन भादो

प्रेम का रस बरसाए

तेरी सोंधी मोहनी सूरत

कोमल कंचन काया

जाने गाज़ल किस्मत से पाई

तेरे हुस्न किी साया

जिसने सुख मेरा राजेश्वरी

रूहे संगीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

तेरी धानी चुनरिया लहरे

जैसे मधुर भाया

प्यार का घुलशन महका महका

तुझसे जाने बहार

तेरी ये झलक हैं काफ़ी

मुझको जान से प्यारी

चाल नशीली देखा के तेरी

लॅब्स करें बर्बादी

सर से पाओं तलाक़ दिलकश

अंदाज़ तेरा साना

तू मेरी घुलकली हैं जानम

मैं तेरा हूँ दीवाना

तेरी चाहत दिल में लेकर

घुमा देश विदेश

तुझसे जैसे डोर रहा हूँ

धारा जोगिया फिर

सदा सुहागन धार भी तुझको

प्रीत की रीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं.

Kya Tujh Pe Nazm Likhon (Album Version) oleh Ahmed & Mohammed Hussain/Ustad Mohammed Hussain - Lirik & Cover