कभी आययए
कभी जाए
इस कारण ख्वाब अधूरे रह जाते आँखो में
आएँगी वो इंतेज़ार रहता यादो में
अब जागता मे कम, क्यूकी शायद छोड़ गयी वो
अब मन नही लगे मेरा जागने मे तो
सोने मे तन लगे, मन लगे ख्वाबो मे
देखु दिन रत उसी को
पड़ती ना मेरी मेरे दोस्त यार, मेरे भाइयो से
प्यार नही नशा थी वो अब कटे रत तन्हाइयो से
वो ज़िद नही तलब, वा नही ग़ज़ब
घुल गये मे मे वो जल जैसी सरल
हो नही दीदार जब सूक जाए हलाक
अब आँखें रखू बंद ताकि नाम ना पालक
ख़ुसी ना मिल्ली तो चलो गुम सही
सरल हुआ जाना मान होता अब तंग नही
दिल छोड़ इस बदन को डोर
मिल्ली मान से ना एकता तो होज़ाएँगे गुम कही
पता न्ही क्या इस मसले का हाल
करे तितली भी ना गुलशन की मदद
मेरी महफूज़्ज़ लत जब नही कोई हो
पी जौ दरिया-ए-ख़ुसरो का जल मे
ज़िंदा हू याआद करके अपनी चाहत को
होता तंग हू जब देखु आईने मे
दिखे तखन पर करू ना बस
उसके दामन मे चाहता हू तोड़ना दम
जान कहने वाली पुकारे मौत को
हम सफ़र नही सफ़र मे संग
दिखे थकान पर करू ना बस
उसके दामन मे चाहता हू तोड़ना
कभी आययए...
कभी जआययी...
इस कारण ख्वाब अधूरे रह जाते आँखो मे
आएँगी वो इंतेज़ार रहता यादो मे
दूर क्यू है है मुझसे
खुसबू. तेरी याद आए
दूर क्यू है मुझसे...
हा