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ऐ सकल बन आ आ

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन

अम्बवा फूटे टेसू फूले

अम्बवा फूटे टेसू फूले

गोरी करत सिंगार

मलनिया गढ़वा ले आई घर सो

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन

नी री सी नी री पा पपा नी री सी नी री सी

तरह तरह के फूल मांगाए

तरह तरह के फूल मांगाए

ले गढ़वा हाथन में आए

ले गढ़वा हाथन में आए

निजामुद्दीन के दरवाजे पर

मेरे निजामुद्दीन के दरवाजे पर

वो मोहे आवन कह गए आशिक रंग और

बीत गए बरसों

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन

Selengkapnya dari Raja Hasan/Sanjay Leela Bhansali

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