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दिल पसलियों तले

आफ़तें करे, जाएगा किधर

आवारा फिरे, पाए ना डगर

कभी है इधर, कभी है उधर

ज़रा सी आँख जो लगे

भागे है, मगर जाएगा किधर

आवारा फिरे, पाए ना डगर

कभी है इधर, कभी है उधर

कभी है इधर, कभी है उधर

कभी है इधर, कभी है उधर

१०० ख़्वाहिशें धुँधली-धुँधली करे

ढूँढे शहर रास्तों से परे

मैं बाँध कर रख लूँ महफ़ूज़, पर

हो, है सरफिरा, खोले सारे सिरे, हा

दिल पसलियों तले

आफ़तें करे, जाएगा किधर

आवारा फिरे, पाए ना डगर

कभी है इधर, कभी है उधर

ज़रा सी आँख जो लगे

भागे है, मगर जाएगा किधर

आवारा फिरे, पाए ना डगर

कभी है इधर, कभी है उधर

कभी है इधर, कभी है उधर

कभी है इधर, कभी है उधर

इधर, उधर

इधर, उधर

Altro da Alok Ranjan Srivastava/Siddharth Pandit/Revant Shergill

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