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Kokh Ke Rath Mein

Ananya Bhathuatong
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कोख के रात में मुझे

रख कर चलती थी

कितना खुश था मैं मा

जब मैं घबराया

तब तू अपनाया

तेरी चुनरी ही साया था मा

मेरे राग राग में

तेरा नाम है मा

तू ही मेरे दिल की साँस हो मा

सपनों को खोए हैं

अपनो को खोए हैं

इनको इंसाफ़ मिलता नही

खून भी बह गया

चैन भी उडद गया

दर मिटाने वेल कोई नही

तुझी को इनके खुदा

बनके रहना है

तुझको करता हूँ मैं यकीन

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