श्यामा आन बसों वृन्दावन में
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में
मैं तो बन के दुल्हन आज सज्जी
बस तुम ही हो मेरे तन मन मैं
तुम हो सुहागन की हीरे
तुम बिन मैं कहा जी पाव गी
श्यामा आन बसों वृन्दावन में
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में
वो आये न मोरे सावरिया
मोरी सखिया बीज बुलाओ गए
श्यामा आन बसों वृन्दावन में
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में