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ढूंढे हज़ारों में

कहीं सितारों में

है तेरे जैसा न कोई

तू ही तो लाखों में

जैसे किताबों में

कोई कहानी हो नई

करूं मैं तुझसे बहाने

कोई भी न ये जाने

है तुझको खबर या नहीं

हम्म ये जो रास्ते हैं सारे

है तेरे ही सहारे

क्या तू ये जानो या नहीं

बातें ये सारी मैं

तुमसे ही करना चाहूं

तेरी नादानियों से

मैं पिघल ही जाऊं

खोई सी राहें क्यों

तुमसे ही मिलना चाहूं

हूं मैं अंधेरों में

तुझमें सवेरा पाऊं

तू ही सवेरा

है क्यों अंधेरा, तू ही सवेरा

क्या तू भी सोचे मेरे बारे में

कह दे न कि यो इशारों ही इशारों में

नज़रें चुरा के जाना

छोड़ूं मैं जन्नतें जो तू

नहीं आए वहां पे

तू ही फरियाद में

तू याद में जाओ कहां

तू सुबह मेरी शाम तू

जो खोया मेरा नाम तू

मैं तेरा था तेरा रहूं ना

जाने कैसे ये कहूं

जो रूठे तू जाना कहीं

ना तेरे सिवा कोई ना

कैसे मैं तुझसे ये कहूं

बातें ये सारी मैं

तुमसे ही करना चाहूं

तेरी नादानियों से

मैं पिघल ही जाऊं

खोई सी राहें क्यों

तुमसे ही मिलना चाहूं

हूं मैं अंधेरों में

तुझमें सवेरा पाऊं

तू ही सवेरा

है क्यों अंधेरा, तू ही सवेरा

तू ही सवेरा

है क्यों अंधेरा, तू ही सवेरा

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